भारतीय उपभोक्ताओं के अधिकार “उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019” के तहत परिभाषित किए गए हैं। यह अधिनियम उपभोक्ताओं को विभिन्न अधिकार प्रदान करता है ताकि वे अनुचित व्यापार प्रथाओं और शोषण से सुरक्षित रहें। नीचे इन अधिकारों को संक्षेप में बताया गया है:
सुरक्षा का अधिकार: उपभोक्ताओं को उन वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार है जो उनकी जान, स्वास्थ्य या संपत्ति के लिए हानिकारक हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों से बचाव।
सूचना का अधिकार: उपभोक्ताओं को किसी भी वस्तु या सेवा की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है ताकि वे सोच-समझकर निर्णय ले सकें।
चयन का अधिकार: उपभोक्ताओं को विभिन्न विकल्पों में से अपनी पसंद की वस्तु या सेवा चुनने का अधिकार है। इसका मतलब है कि उन्हें एकाधिकार या सीमित विकल्पों के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
सुनवाई का अधिकार: अगर उपभोक्ता को कोई शिकायत है, तो उसे उचित मंच (जैसे उपभोक्ता अदालत) पर अपनी बात रखने और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है।
निवारण का अधिकार: उपभोक्ता को अनुचित व्यापार प्रथाओं या दोषपूर्ण वस्तुओं/सेवाओं के खिलाफ मुआवजे या नुकसान की भरपाई का अधिकार है। इसमें सामान बदलवाना, पैसे वापस लेना या हर्जाना शामिल हो सकता है।
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार: उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक होने और शिक्षित करने का अधिकार है ताकि वे शोषण से बच सकें।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
उपभोक्ता शिकायत निवारण: उपभोक्ता अपनी शिकायत जिला, राज्य या राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में दर्ज कर सकते हैं, जो शिकायत के मूल्य और क्षेत्र के आधार पर काम करते हैं।
उदाहरण: अगर कोई दुकानदार गलत कीमत वसूलता है या नकली सामान बेचता है, तो उपभोक्ता इसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।